श्री तुलसी पाँचतरह की तुलसी के पौधों का अर्क स्वस्थ व्यक्तियों के लिए अमृत एवं रोगियों के लिए वरदान है. तुलसी भारतवर्ष की देह में आत्मा के सामान है .लोग तुलसी को माता के समान मानकर जल चढाते है और शीश नवाते है . तुलसी सभी धर्मो में पूज्य है. व्यक्ति के मरने से पूर्व उसके मुख में तुलसी जल डालने की प्रथा है. कहते है की तुलसी अकाल मृत्यु से छुटकारा दिलाती है .
तुलसी सर्वरोग नाशक है. यह संसार की एक बेहेतरीन एंटी – आक्सिडेंट, एंटी – एजिंग , एंटी – बेक्टेरिअल , एंटी – सेप्टिक , एंटी – वायरल , एंटी – फ्लू , एंटी – बायोटिक , एंटी – अन्फ्लामेंतोरी , व एंटी – डिसीस है . तुलसी मुख्या रूप से पाँच प्रकार की पायी जाती है. श्याम तुलसी, राम तुलसी, श्वेत सुरता, वन तुलसी एवं नीम्बू तुलसी. इन पांचो प्रकार की तुलसियों का विशेष विधि द्वारा तेल (Extract) निकाल कर श्री तुलसी का निर्माण किया गया है.
इसके उपयोग से 200 से अधिक रोगों में प्राप्त होता है जैसे की फ्लू, स्वाइन फ्लू, डेंगू , ज्वर , जुकाम, खांसी , मलेरिया , प्लेग, जोड़ो का दर्द, पथरी, मोटापा, ब्लड प्रेशर, शुगर, एलेर्गी , पेट के कीड़े, जलन , मूत्र सम्बन्धी रोग, गाठिया, दमा , मरोड़ , बवासीर, अतिसार, आँख का दर्द, दाद – खाज – खुजली , सिर दर्द , पायरिया , नकसीर, फेफड़ो की सुजन, अल्सर, हायपरटेंशन , स्ट्रेस , वीर्य की कमी, थकान इत्यादि. भोजन के बाद एक बूँद श्री तुलसी सेवन करने से पेट सम्बन्धी बीमार्या बहुत कम लगती है. श्री तुलसी अंग – प्रत्यंग को स्फूर्तिवान बनती है.
श्री तुलसी स्मरण शक्ति को तेज करती है. शारीर के लाल रक्त सेल्स (HAEMOGLOBIN) को बढाने में अत्यंत सहायक है. श्री तुलसी की दिन में 4 – 5 बूंदे लेने से महिलाओं को गर्भवस्था में बार – बार होने वाली उलटी की शिकायत ठीक हो जाती है. आग के जलने व किसी जहरीले कीड़े के काटने पर तुलसी अर्क को लगाने से विशेष राहत मिलती है. सिर दर्द, बाल झाड़ना, बाल सफ़ेद होना व सिकरी – श्री तुलसी की 8- 10 बूंदे 10 मि. ली . एलो हर्बल हेयर ऑइल के साथ मिलाकर सिर एवं बालो की जड़ो में लगाये . कान के रोग : श्री तुलसी को हल्का सा गरम करके एक-एक बूँद कान में टपकायें . नाक में पीनस रोग हो जाता है.
इसके अतिरिक्त फोड़े –फुंसियाँ भी निकल आती है. दोनों रोगों में रोगी को बहुत तकलीफ होती है. श्री तुलसी को हल्का सा गरम करके एक-एक बूँद नाक में टपकायें. दांत का दर्द, दांत में कीड़ा लगना, मसूडो से खून बहना : श्री तुलसी के 4-5 बूंदे पानी में डालकर कुल्ला करना चाहिए. यदि मुह से किसी प्रकार की दुर्गन्ध आती हो तो श्री तुलसी की एक बूंद मुह में दाल ले, दुर्गन्ध तुरंत दूर हो जायेगी . गले में दर्द , गले या मुह में छाले, आवाज बैठ जाना : श्री तुलसी की 4-5 बूंदे गरम पानी में डालकर गरारे करे.
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दमा व खांसी में : श्री तुलसी की 2 बूंदे थोड़े अदरक के रस तथा शहद के साथ मिला कर सुबह-दोपहर-शाम सेवन करे. गुप्त अंग रोग: वैसे तो गुप्त अंग अनेक प्रकार के होते है ,परन्तु कूच रोग ऐसे है जिनके बारे में सभी स्त्रियों को पता रहता है. उन रोगों में कुछ है : समय पर रजोधर्म न होना , गुप्त अंग का पीड़ा उसका कठोर हो जाना, भीतर घाव बन जाना, चींटी रेंगने की तरह पीड़ा आदि रोग अधिक होते रहते है. लक्षण : स्त्री को हर समय बेचैनी रहती है. गुप्त अंग से मवाद भी निकलता रहता है. कभी कभी रक्त भी निकलता है.श्री तुलसी के 10 बूंदे 100 मि.ली. पानी में डाल ले इस घोल को हल्का सा गरम करके इस घोल से गुप्त अंग को बार-बार तथा भीतर तक धोये. श्री तुलसी की 8-10 बूंदे बॉडी ऑइल में मलकर शारीर पर मलकर रात्री में सोये. मचछर नहीं काटेंगे. कूलर के पानी में 8-10 बूंदे श्री तुलसी की डालने से सारा घर विषाणु व रोगाणु मुक्त हो जाता है तथा मक्खी – मचछर भी उस घर से भाग जाते है. जूए और लीखे : श्री तुलसी और नीम्बू का रस सामान मात्रा में मिलाकर सिर के बालों में अच्छी तरह से लगाये. 3-4 घंटे तक लगा रहने दे और फिर सिर धोये अथवा रात्री को लगाकर सुबह सिर धोये . जूए व लिखें मर जायेंगे. श्री तुलसी के नियमित उपयोग से कोलेस्ट्रोल का स्तर कम होने लगता है, रक्त के थक्के जमने कम होते है व हार्ट- अटैक और स्ट्रोक की रोकथाम होती है. श्री तुलसी की 8-10 बूंदे एक बाल्टी पानी में डालकर उस पानी से स्नान करने से त्वचा रोग नहीं होती है. सौंदर्य – वर्धक तुलसी – श्री तलसी में सुन्दर और निरोग बनाने की शक्ति है.यह त्वचा का कायाकल्प कर देती है . यह शारीर के खून को साफ़ करके शारीर को चमकीला बनाती है. श्री तुलसी एवं रूपायन तेल की 2-2 बूंदे एलो हर्बल क्रीम व स्किन केयर जेल में मिलाकर चेहरे पर सुबह व रात को सोते समय लगाने पर त्वचा सुन्दर व कांतिमय हो जाती है, तथा चेहरे से प्रत्येक प्रकार के काले – भूरे धब्बे , झाइयाँ , कील- मुहांसे व झुर्रियां नष्ट हो जाती है. श्री तुलसी एवं रूपायन तेल की 2-2 बूंदे स्किन केयर जेल में मिलाकर लगाने से प्रसव के बाद पेट पर बन्ने वाली लाइन (स्ट्रेच मार्क) दूर हो जाती है. सफ़ेद दाग: 10 मी.ली. नारियल के तेल में 20 बूंदे पंच तुलसी के डालकर सुबह एवं रात सोने से पहले अच्छे तरह मले . उपयोग हेंतु निर्देश – श्री तुलसी की एक बूँद एक गिलास पानी या चाय में दो बूँद एक लीटर पानी में डाल कर पीना चाहिए . इससे पेयजल विषाणु और रोगानुओ से मुक्त होकर स्वास्थवर्धक पेय हो जाता है. निरोगी जीवन जीने के लिए प्रत्येक व्यक्ति को प्रतिदिन श्री तुलसी की 4-5 बूंदे अवश्य सेवन करना चाहिए. आप अपना बिजनेस I.M.C. के साथ बिना किसी इन्वेस्टमेंट के शुरू कर सकते है. आप काम थोड़े समय या पूरे समय, घर में या ऑफिस में , दोस्तों के साथ या रिश्तेदारों के साथ कर सकते है. कोई भी शिक्षा या तजुर्बे की जरुरत नहीं. आप कमा सकते है स्थायी एवं असीमित आय.
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Extracts of 5 Types of Tulsi Tulsi in traditional Indian medicine system is considered as a tonic which retains youth